Chaitra Navratri : किस प्रकार मिलेगी माँ दुर्गा की कृपा इस बार पंचक में प्रारम्भ होने वाले चैत्र नवरात्रि मे, चलिए जानते है

Chaitra Navratri : चैत्र माह में आने वाले नवरात्रो को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है, इस वर्ष चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि का प्रारम्भ पंचक में हो रहा है। चलिए जानते किस तरह रहेगा ये वक़्त 



Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि की हिन्दू धर्म विशिष्ट मान्यता है, धार्मिक मान्यतानुसार चैत्र माह में आने वाली नवरात्रि का उपवास रखने पर भक्तजनो पर माँ दुर्गा की विशिष्ट कृपा होती है, और उनके कष्टों का समापन करती है, पंचांग के अनुसार चैत्र मास में आने वाली नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि कहा जाता है, परन्तु इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का आरम्भ पंचक के संग हो रहा है अन्यथा नवरात्रि के साथ-साथ पंचक लगना भी आरम्भ हो रहा है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चन्द्रमा कुम्भ और मीन राशि में होते है तो उसे पंचक कहा जाता है देखते माँ दुर्गा की आराधना करने का फल इस वर्ष प्राप्त होगा या नहीं, ये जानना भी आवश्यक है क्योकि पंचक के दौरान कोई भी धार्मिक एवं मांगलिक कार्य नहीं होते 

चैत्र नवरात्री एवं पंचक। Chaitra Navratri And Panchak

कुम्भ एवं मीन राशि में जब चन्द्रमा होता है तब उसे पंचक कहा जाता है, पंचक को पंचक इसलिए कहते है क्योकि यह पांच दिन के लिए ही होते है, पंचक इस वर्ष 21 मार्च से आरम्भ हो रहे है और अगले दिन 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ हो रहे है इस कारणवश भक्त जानो में चिंता की परिस्थिति बन रही है, की इस वर्ष किस प्रकार माँ दुर्गा (Durga Maa) की उपासना की जा सकेगी 

शास्त्रानुसार नवरात्रि एक बेहद ही पावन अवसर है  जिसके कारण पंचक का कोई प्रभाव माँ दुर्गा की उपासना में कोई विघ्न उत्पन्न नहीं करेगा, पंचक होने पर भी नवरात्रि में माँ दुर्गा की उपासना की जा सकती है, और आप माँ दुर्गा की उपासना में डूब सकते है 

इस बार ऐसा माना जा रहा है की इस साल दुर्गा माँ नाव पर सवार होकर आ रही है, धार्मिक मान्यता है की दुर्गा माँ का ये रूप अत्यंत फायदा देने वाला होता है अन्यथा इस रूप में दुर्गा माँ अपने हरेक भक्त सभी मनोकामना पूर्ण करती है इसके अलावा पंचक होने पर भी दुर्गा माँ की उपासना (Durga Puja) में कोई विघ्न नहीं आएगा  

नवरात्रि में दुर्गा माँ के नौ रूपों की उपासना की जाती है, 22 मार्च को नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की उपासना होगी इसके पश्चात ब्रह्मचारिणी माँ, चंद्रघंटा माँ, कुष्मांडा माँ, स्कन्द माँ, कात्यायनी माँ, कालरात्रि माँ, महागौरी माँ, सिद्धिदात्री माँ की पूजा-उपासना की जायेगी